सुखी और प्रसन्न रहने का क्या उपाय है ? What makes you happy in life?

 

खुश रहने के 10 सबसे सरल तरीके 

सुखी और प्रसन्न रहने का क्या उपाय है


लोग बहुत बार पूछते हैं गुरूजी , सुखी और प्रसन्न रहने का क्या उपाय है ? सुखी जीवन के नियम , सुखी रहने का मूल मंत्र क्या है ? घर में सुख समृद्धि बनाये रखने के लिए क्या करें ? सुखी और प्रसन्न रहने के ये 10 नियम , इस लेख में विस्तार से बताया है , पूरा पढ़ें। कुछ नियम भी अपना लिए तो मौज करोगे। 

सुखी और प्रसन्न रहने का क्या उपाय है ? सवाल बहुत ही सूंदर है। सबसे पहले मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को पढ़ो , उन्होंने क्या शिक्षा दी उसको समझो। जिस दिन वनवास के प्रस्थान किया , चक्रवर्ती सम्राट होते हुए सब त्याग दिया। सारी सुख सुविधा छोड़ दी ,उनके पास जो था उसीमे काम चलाया। 

सुखी जीवन व्यतीत करने का एक बहुत ही सरल उपाय और आसान मंत्र है , जो भी साधन हमारे पास मौजूद हैं उन्हीं में संतोष करते हुए जीवन को जीना , इच्छाओं के गुलाम न बनना , और जीवन की आवश्यकताओं के अनुरूप ही ईश्वरीय इच्छा से चलना |

सुखी जीवन के नियम , सुखी रहने का मूल मंत्र क्या है?  

सुखी जीवन के कुछ कुछ नियम आपको अपने जीवन में अपनाने होंगे। प्रसन्न रहने के बहुत उपाए होते हैं।  और अगर आप उन उपायों को अपनाए , तो निश्चित ही आपका जीवन संवर सकता है। धर्म के अनुसार चल कर सुखी जीवन जिया जा सकता है , और कुछ आदतें बदलनी होंगी। 

1 -  हमारे यहां चारों ओर बहुत से ऐसे लोग हैं, जो हमें प्रसन्न देखना ही नहीं चाहते और ऐसे लोगों की कदर करते-करते आप अपनी खुशी को खो देंगे इसलिए आप खुद की परवाह करिए, लोगों की नहीं ! 

2 -  दूसरे खुश हों इसलिए काम मत कीजिए , आप वह हर काम करिए जिससे आपको दिल से खुशी मिलती हो। ऊपरी खुशी आपके लिए कोई मायने नहीं रखती, जब तक आपका दिल खुश ना हो। 

3 -   लोगों से उम्मीदें लगाना छोड़ दीजिए , क्योंकि जितनी उम्मीदें रखेंगे उतना ही आपका दिल टूटेगा। यह जरूरी नहीं हर इंसान आपकी उम्मीदों को पूरा करें। इससे अच्छा तो यही है कि आप अपनी उम्मीदों को अपने साथ ही रखें ना की किसी और के साथ जोड़कर।

4 -  आप अपने काम में ही व्यस्त रहे ,प्रसन्न रहने का सबसे कारगर उपाय है। जितना ज्यादा आप काम में व्यस्त रहेंगे उतना ही आपका दिमाग स्थिर रहेगा। अगर आप खाली बैठे रहेंगे तो , दिमाग की अस्थिरता की वजह से प्रसन्नता दूर हो जाएगी। इसलिए कोशिश करिए कि आप व्यस्त रह सके।

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घर में सुख समृद्धि बनाये रखने के लिए क्या करें ?

सभी व्यक्ति चाहते है , कि उसके घर में सुख समृद्धि और लक्ष्मी का वास हो । परंतु कुछ लोग चाह कर भी अपने घर में सुख समृद्धि प्राप्त नहीं कर सकते। इसके पीछे कुछ कारण होते हैं। 

घर में कबाड़ और टूटी-फूटी चीजों का होना |

यदि घर में टूटी-फूटी चीजें हैं , घर के मंदिर में खंडित मूत्र्तियां या दीपक , तो भी घर में सुख- समृद्धि का वास नहीं होता। अगर हम चाहते हैं कि हमारे घर में सुख समृद्धि हमेशा बनी रहे तो इसके लिए हमें अपने घर से कबाड़ को बाहर निकाल देना चाहिए।

घर में कलेश या लड़ाई झगड़ा 

जिस घर में हमेशा कलेश और लड़ाई झगड़ा होता रहता है , वहां भी लक्ष्मी जी का वास नहीं होता। इसलिए घर के सभी लोगों को मिल जुल कर रहना चाहिए। इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। घर की महिलाओं की इज्जत कीजिए। 

दान पुण्य करते रहो

अपनी कमाई में से १ % कुछ ना कुछ दान करते रहें , आपका पैसा घटने की बजाय बढ़ता ही रहेः। लोगों की दुआएं आपके लिए आशीर्वाद का काम काटेंगी।  इसलिए अपनी कमाई में से कुछ ना कुछ दान अवश्य करना चाहिए।

सुखी और प्रसन्न रहने का क्या उपाय है ? जानना चाहते हो ?


सुखी और प्रसन्न रहने के ये 10 नियम , जिन्हें हर मनुष्य को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।


तपः सन्तोष आस्तिक्यं दानं देवस्य पूजनम्।

सिद्धान्तश्रवणं चैव ह्रीर्मतिश्च जपो हुतम्।।


अर्थात  -  तप , संतोष , आस्तिकता , दान , देवपूजन , शास्त्र सिद्धांतों का श्रवण , लज्जा , सद्बुद्धि , जप और हवन -  ये 10  नियम देवी भगवती  द्वारा कहे गए है।

तप

तप करने या ध्यान लगाने से हमारा सारा ध्यान एक जगह केन्द्रित हो जाता है और मन भी शांत हो जाता है। शांत मन से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है। साथ ही ध्यान लगाने से कई मानसिक और शारीरिक रोगों का भी नाश होता है।

जप

सनातन धर्म और शास्त्रों के अनुसार, जीवन में कई समस्याओं का हल केवल भगवान का नाम जपने से ही पाया जा सकता है। जो मनुष्य पूरी श्रद्धा से भगवान का नाम जपता हो, उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। भगवान का भजन-कीर्तन करने से मन को शांति मिलती है और पुण्य की भी प्राप्ति होती है।

हवन

 हवन करने से घर का वातावरण शुद्ध होता है। कहा जाता है, हवन करने पर हवन में दी गई आहुति का एक भाग सीधे देवी-देवताओं को प्राप्त होता है। उससे घर में देवी-देवताओं की कृपा सदा बनी रहती है। साथ ही वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा भी घर में बनी है।

देव पूजन

अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कर्मों के साथ-साथ देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना भी की जाती है। मनुष्य अपने हर दुःख में, हर परेशानी में भगवान को याद अवश्य करता है। सुखी जीवन और अपने परिवार को खुशहाल बनाए रखने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए।

आस्तिकता

नास्तिक व्यक्ति पशु के समान होता है। ऐसे व्यक्ति के लिए अच्छा-बुरा कुछ नहीं होता। वह बुरे कर्मों को भी बिना किसी भय के करता जाता है। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए आस्तिकता की भावना होना बहुत ही जरूरी होता है। आस्तिकता का अर्थ होता है- देवी-देवता में विश्वास रखना। मनुष्य को हमेशा ही देवी-देवताओं का स्मरण करते रहना चाहिए। 

 संतोष

हर इच्छा को पूरा कर पाना संभव नहीं होता। ऐसे में मनुष्य को अपने मन में संतोष (संतुष्टि) रखना बहुत जरूरी होता है। असंतोष की वजह से मन में जलन, लालच जैसी भावनाएं जन्म लेने लगती हैं। सुखी जीवन के लिए इन भावनाओं से दूर रहना बहुत आवश्यक होता है। इसलिए, मनुष्य हमेशा अपने मन में संतोष रखना चाहिए।

दान

सनातन धर्म में दान का बहुत ही महत्व है। दान करने से पुण्य मिलता है। दान करने पर ग्रहों के दोषों का भी नाश होता है। कई बार मनुष्य को उसकी ग्रह दशाओं की वजह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दान देकर या अन्य पुण्य कर्म करके ग्रह दोषों का निवारण किया जा सकता है। मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा ही दान कर्म करते रहना चाहिए।

शास्त्र सिद्धांतों को सुनना और मानना

कई पुराणों और शास्त्रों में धर्म-ज्ञान संबंधी कई बातें बताई गई हैं , जो आज भी बहुत उपयोगी हैं। अगर उन सिद्धान्तों का जीवन में पालन किया जाए , तो किसी भी कठिनाई का सामना आसानी से किया जा सकता है। शास्त्रों में दिए गए सिद्धांतों से सीख के साथ-साथ पुण्य भी प्राप्त होता है। इसलिए, शास्त्रों और पुराणों का अध्ययन और श्रवण करना चाहिए।

लज्जा

मनुष्य में लज्जा (शर्म) होना बहुत जरूरी होता है। बेशर्म मनुष्य पशु के समान होता है। जिस मनुष्य के मन में लज्जा का भाव नहीं होता, वह कोई भी दुष्कर्म कर सकता है। जिसकी वजह से कई बार न की सिर्फ उसे बल्कि उसके परिवार को भी अपमान का पात्र बनना पड़ सकता है। लज्जा ही मनुष्य को सही और गलत में फर्क करना सिखाती है। 

सदबुद्धि 

अच्छी सोच रखने वाला मनुष्य जीवन में हमेशा ही सफलता पाता है। बुरी सोच रखने वाला मनुष्य कभी उन्नति नहीं कर पाता। मनुष्य की बुद्धि उसके स्वभाव को दर्शाती है। सदबुद्धि वाला मनुष्य धर्म का पालन करने वाला होता है और उसकी बुद्धि कभी गलत कामों की ओर नहीं जाती। अतः हमेशा सदबुद्धि का पालन करना चाहिए।


आशा करते है इन सवालों , सुखी और प्रसन्न रहने का क्या उपाय है ? सुखी जीवन के नियम , सुखी रहने का मूल मंत्र क्या है ? घर में सुख समृद्धि बनाये रखने के लिए क्या करें ? सुखी और प्रसन्न रहने के ये 10 नियम , मिल गए होंगे , कोई और सवाल हो तो मैसेज कीजिए। जय श्री राधे 

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गीता जी वेदांत


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