ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से क्या होता है?ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ? SCIENCE BEHIND BRAHMAMUHURTA

 

प्रतिदिन इस समय नहाने से बदल सकती है किस्मत।


ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से क्या होता है?ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ? SCIENCE BEHIND  BRAHMAMUHURTA



                       ये सवाल नहीं , सफलता के सूत्र हैं

 

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से क्या होता है ? ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ? SCIENCE BEHIND  BRAHMAMUHURTA ,  ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का महत्व , ब्रह्म मुहूर्त का मंत्र ,ब्रह्म मुहूर्त किस समय होता है , ब्रह्म मुहूर्त में उठने के क्या फायदे हैं ? जागने के लिए कौन सा समय सबसे अच्छा है ? सुबह 4:00 ध्यान करने का सबसे अच्छा समय क्यों है? विस्तार से बताया है , ध्यान से पढ़ें -----


                         

                             “ ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी ” 


अर्थात -- ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।


                       “ वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।

                                               ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥” 


अर्थात --  ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि,  स्वास्थ्य वर्धक लम्बी आयु की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता हे।



 रात का आखरी पहर ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है । सनातन धर्म में ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। हिन्दू धर्म के अनुसार यह समय निद्रा त्यागने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।


 ब्रह्म मुहूर्त में उठने से स्वास्थ्य , बल , सौंदर्य,  विद्या,और बुद्धि की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से  लगभग डेढ़ घण्टे पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जाग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र सम्मत नहीं है।


यहाँ ब्रह्म , का मतलब परम तत्व या परमात्मा और मुहूर्त यानी सर्वोत्तम और अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम पहर यानि अलसुबह चार से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है।


    सिख धर्म के अनुसार इस समय के लिए बेहद सुन्दर नाम है


                                " अमृत वेला " 


नाम से ही इस समय का महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य का मन शांत और तन पवित्र होता है।


हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में ही उठना चाहिए। इससे हमारा शरीर तो स्वस्थ होता ही है ,और दिनभर स्फूर्ति भी बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है।


                              पौराणिक महत्व —--


 वाल्मीकि रामायण के मुताबिक माता सीता को ढूंढते हुए श्री हनुमान ब्रह्म मुहूर्त में ही अशोक वाटिका पहुंचे थे । जहां उन्होंने वेद व यज्ञ के मंत्रोच्चार की आवाज सुनी।


                  हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है --


प्रकृति और ब्रह्म मुहूर्त का गहरा नाता है। इस समय में पशु-पक्षी जाग जाते हैं। उनका मधुर कलरव शुरू हो जाता है। कमल का फूल भी खिल उठता है। मुर्गे बांग देने लगते हैं। एक तरह से ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति भी चैतन्य हो जाती है। प्रकृति हमें संकेत देती है ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लिए।


       ब्रह्म मुहूर्त में जागने से , मिलती है सफलता और समृद्धि


 ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है ,आयुर्वेद में इसका काफी उल्लेख है । इसका कारण है कि , इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है |


 यह समय विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है।  क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो , मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है।


 प्रमुख मंदिरों के पट भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए जाते हैं , और भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाने का विधि विधान है।


 ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाला व्यक्ति सफल, सुखी और समृद्ध होता है

                             क्यों ? 


स्वस्थ और सफल रहना है तो ब्रह्म मुहूर्त में उठें। जल्दी उठने से दिन भर के कार्यों और योजनाओं , को बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। व्यक्ति जो काम करता है , उसमें उसकी प्रगति होती है। विद्यार्थी परीक्षा में सफल रहते हैं।


 नौकरी करने वाले समय से पहुंचते हैं , इससे  बॉस खुश रहता है। यदि दिन अच्छा बीतेगा तो बिजनेस मैन भी अच्छी कमाई कर सकता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो समय का सदुपयोग करे और स्वस्थ रहे। 


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 वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने के महत्व और लाभ का उल्लेख 

किया गया है ----


1 - मंत्र  --  प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो।

तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥ - ऋग्वेद-1/125/१


अर्थात- ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।


2 - मंत्र -- यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। सुवाति सविता भग:॥ - सामवेद-३५


अर्थात- व्यक्ति को प्रातः सूर्योदय से पहले शौच व स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की पूजा-पाठ करना चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त की शुद्ध व निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।


3 - मंत्र -- उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे।  अथर्ववेद- 7/16/२


अर्थात- सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते उनका तेज खत्म हो जाता है। और जीवन में कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर पाते।


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                  जैविक घड़ी पर आधारित शरीर की दिनचर्या


                                         सुबह  3. 30 से 5 .30   –


इस समय जीवन शक्ति विशेष रूप से फेफड़ों में होती है। थोड़ा गुनगुना पानी पीकर खुली हवा में घूमना एवं प्राणायाम करना बहुत लाभदायक है।


 इस समय लम्बी साँस से फेफड़ों की कार्यक्षमता खूब विकसित होती है। उन्हें शुद्ध वायु आक्सीजन भरपूर  मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है। इस समय सोते रहने वालों का जीवन निस्तेज हो जाता है ।


                                       सुबह  5. 30 से 7 .30 – 


 इस समय जीवन शक्ति विशेष रूप से आँतों में होती है। इस समय मल-त्याग एवं स्नान का लेना चाहिए । सुबह 7 के बाद जो मल-त्याग करते है , उनकी आँतें मल में नमी का शोषण कर मल को सुखा देती हैं। इससे कब्ज तथा कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।


                                     सुबह  7. 30 से 8 .30 – 


 इस समय जीवन शक्ति विशेष रूप से आमाशय में होती है। यह समय भोजन के लिए सर्वोत्तम है । इस समय पाचक रस अधिक बनते हैं। भोजन के बीच-बीच में गुनगुना पानी घूँट-घूँट पिये। जमीन पर बैठकर भोजन करना चाहिए। 


जिंदगी में सफलता चाहिए , तो इन सवालों पर गौर कीजिए , और अम्ल 

 कीजिए ,  जय श्री राधे 


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गीता जी वेदांत


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