पितरों का स्थान कहां होना चाहिए , Pitra photo direction in home

 

घर पर यहां न लगाएं पूर्वजों की तस्वीर, वरना होगा बुरा प्रभाव 

पितरों का स्थान कहां होना चाहिए , Pitra photo direction in home

कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं , पितरों का स्थान कहां होना चाहिए ,Pitra photo direction in home , देवता और पितर में क्या अंतर है? पितर कौन होते हैं ? इस लेख में विस्तार से बताया है , ध्यान से पढ़ें 


                       पितर कौन होते हैं ?

जो इस धरती पर अपनी पूरी उम्र जी कर गया हो , दादा-दादी, माता-पिता आदि जो इस दुनिया से जा चुके हैं, वह पितृ देव या पूर्वज कहलाए जाते हैं।

 

बाद में केवल इनकी यादें शेष रह जाती हैं , परिवार में इनका गहरा नाता होता है । ज्यादातर लोग पूर्वजों की तस्वीर को पूजा घर में रखकर पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करना वर्जित बताया है। 


पूर्वज देवताओं के समान होते हैं लेकिन देवताओं के स्थान पर इनकी तस्वीरों को नहीं रखना चाहिए , ऐसा करने से देवता नाराज होते हैं।


                 देवता और पितर में क्या अंतर है ?


जो मानव इंद्रियों के माया जाल से बाहर नहीं आ पता और संसारी मोहमाया में उलझा हुआ मृत्यु को प्राप्त हो जाता है ,वो मनुष्य योनि के बाद प्रेत योनि को प्राप्त होता है यानि पितृ योनि।


 और जो मनुष्य भक्ति मार्ग पर चलता है ,  उसे देवता योनि प्राप्त होती है।  देवता योनि भी मृत्यु उपरांत ही प्राप्त होने वाली योनि है।  ये देवता योनि भी मुक्ति के मार्ग पर मिलती है।


वास्तु के अनुसार, पितरों या पूर्वजों की तस्वीरों को घर में जरूर रखना चाहिए , क्योंकि ऐसा करने से उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है। लेकिन उसके लिए कुछ नियम भी होते हैं। 


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पितर की तस्वीर यहाँ लगाने से होती है कलह

हिन्दू धर्म की मान्यता और वास्तु शास्त्र के अनुसार , पितरों की तस्वीर को भूलकर भी घर के ब्रह्म अर्थात मध्य स्थान पर, बेडरूम या फिर रसोई घर में नहीं लगानी चाहिए। 


ऐसा करने से पितृ देवों का अपमान होता है। और घर में पारिवारिक कलह बढ़ जाती है, साथ ही सुख-समृद्धि में कमी आती है।


घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर ना लगाएं 

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार घर के मंदिर में पितरों की तस्वीर लगना वर्जित बताया है। पितरों की तस्वीरों को देवी-देवताओं के साथ रखने से देव गण नाराज होते हैं , देवदोष भी लगता है। 


शास्त्रों में पितर और देवताओं के स्थान अलग-अलग बताए गए हैं , क्योंकि पितृ देव , देवताओं के समान ही समर्थवान और आदरणीय हैं। लेकिन फिर भी , दोनों को एक जगह रखने से किसी के आशीर्वाद का शुभ फल नहीं प्राप्त होता है।


इससे सुख-समृद्धि की होती है हानि

कभी भी उस स्थान पर पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए, जहां घर में आते-जाते नजर पड़े। कुछ लोग भावुकता में ऐसा ही करते हैं, जिससे उनके मन में हमेशा निराशा का भाव रहता है। 


घर की दक्षिण और पश्चिम की दीवारों पर भी पितरों की तस्वीर नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करने से सुख समृद्धि की हानि होने लगती है।


स्वास्थ्य पर पड़ेगा , नकारात्मक प्रभाव


जीवित लोगों की तस्वीरों के साथ पितरों की तस्वीरों नहीं लगानी चाहिए।  ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता। मान्यता है कि जिस जीवित व्यक्ति के साथ पितरों की तस्वीर होती है , उनकी आयु में भी कमी आती है।


 और जीवन जीने का उत्साह भी कम होने लगता है। वह व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। उन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


पितरों की तस्वीर इस दिशा में लगाना उत्तम


हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, पितरों की तस्वीरों को हमेशा उत्तर की दिवारों पर लगाएं ताकि उनकी निगाहें दक्षिण की ओर रहे। दक्षिण दिशा को यम और पितरों की दिशा माना जाता है। इससे अकाल मृत्यु और संकट से बचाव होता है। 


पितरों की तस्वीर इस तरह रखें


ध्यान रहे कि कभी पूर्वजों की एक से अधिक तस्वीर ना लगाएं।और उन पर कभी मेहमानों की नजर न पड़े , ऐसा करने से घर में नकारात्मकता आती है।

 पितरों की तस्वीर को कभी भी लटकाकर नहीं रखना चाहिए। इनकी तस्वीरों को लगाने के लिए अलग से एक लकड़ी स्टैंड बनवा लेना चाहिए। जय श्री राधे 


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गीता जी वेदांत


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