घंटा बज गया, घंटा का नाद हो गया, ‘ऐ मन अब सावधान हो जा, हम त्रिलोकीनाथ भगवान के दरबार में जा रहे हैं।
बहुत सारे सवाल लोग instagram पर पूछते है की ,मंदिर में घंटा या घंटी क्यों रखा जाता है ( science behind temple bells )
सभी मंदिर में घंटी क्यों लगाई जाती है ? मंदिर में घंटी बजाने के पीछे कौनसा धार्मिक कारण हो सकता है? पूजा में गरुड़ घंटी का क्या है राज , मंदिर में घंटा या घंटी क्यों रखा जाता है। भगवान को भोग लगाने के लिए घंटी क्यों बजाते हैं? क्या कारण है इसका। क्या मंदिर में घंटा या घंटी अवश्य बजाना चाहिए ? इस लेख सभी प्रश्नो का उत्तर विस्तार से देंगे ,ध्यान से पढ़ें।
घंटा का ऐसा आकार / शेप होता है | जब घंटे को बजाते हैं तो उससे जो ध्वनि की तरंगे निकलती हैं, हमारे सिर पर गिरती है, ध्वनि की जो तरंगे गिरती हैं, हमारे माथे पर पड़ती हैं, हमारे मस्तिष्क में अल्फा तरंगों को जागरूक कर देती हैं, जो हमें एक अलग प्रकार के आनन्द की अनुभूति कराती है|
उससे हमारे मस्तिष्क में चलने वाले नेगेटिव विचार दूर हो जाते हैं , और हम दुनिया की सारी समस्याओं से उस वक्त के लिए निजात पा लेते हैं। और निर्मल मन से भगवान के चरणों में समर्पित होते हैं। इसलिए मंदिर में सबसे पहले घंटी बजाई जाती है।
घंटी भगवान को आकर्षित करने के लिए नहीं बजाते ,खुद के लिए बजाया जाता है।
जब आप घंटा बजाते हो, आनन्द का अनुभव होता है। लेकिन ये तब होगा जब आप घंटा बजाओ और उसके नीचे कुछ क्षण खड़े रहो। लोग झटके में घंटा को बजाते हैं और जब तक घंटा बजता है , तब तक तो आगे बढ़ जाते हैं।
घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है।
मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।
सभी मंदिर में घंटी क्यों लगाई जाती है ? मंदिर में घंटी बजाने के पीछे कौनसा धार्मिक कारण हो सकता है?
मंदिर में घंटी लगाने के पीछे बहुत बड़ा वैज्ञानिक कारण है। सारी दुनिया को पता है कि भारत में ब्रम्हांड का विज्ञान कूट कूट कर भरा है।
उन्हीं ब्रह्मांडीय वैज्ञानिकों में से किसी बहुत बड़े शोधकर्ता ने यह बताया था कि मंदिर में घंटी बजाने से, उसके टन टन की आवाज से आसपास के बैक्टीरिया मर जाते हैं । तो जितने भी श्रद्धालु मंदिर में घंटी बजाते हैं , असल में वह बैक्टीरिया का सर्वनाश कर रहे होते हैं।
यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है |
पूजा में गरुड़ घंटी का क्या है राज, नहीं जानते होंगे आप
गरुड़ - भगवान गरुड़ को विष्णु का वाहन और द्वारपाल माना जाता है। अधिकतर मंदिरों में मंदिर के बाहर आपको द्वार पर गरुड़ भगवान की मूर्ति मिलेगी। दक्षिण भारत के मंदिरों में अक्सर इसे देखा जा सकता है।
मंदिर या घर के पूजाघर में आपने देखा होगा गरुड़ घंटी को। मंदिर के द्वार पर और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। घंटी से विशेष प्रकार का नाद होता है जो आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है।
यह घंटे या घंटियां 4 प्रकार की होती हैं:- 1. गरूड़ घंटी, 2. द्वार घंटी, 3. हाथ घंटी और 4. घंटा।
1. गरूड़ घंटी -गरूड़ घंटी छोटी-सी होती है जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है।
2. द्वार घंटी - यह द्वार पर लटकी होती है। यह बड़ी और छोटी दोनों ही आकार की होती है।
3. हाथ घंटी - पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाते हैं।
4. घंटा - यह बहुत बड़ा होता है। कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा। इसको बजाने के बाद आवाज कई किलोमीटर तक चली जाती है।
घर में हाथ घंटी ही बजाई जाती है। पूजा के दौरान आरती या पूजा, घंटी और शंख के बजने पर ही पूरी मानी जाती है। घंटी समस्याओं का अंत भी करती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर में घंटी रहती है वह घर हमेशा बुरी आत्माओं से व बुरी शक्तियों से भी बचा रहता है।
मंदिर में घंटा या घंटी क्यों रखा जाता है। क्या कारण है इसका जानिए इस संबंध में 5 रहस्य।
1 - हिंदू धर्म सृष्टि की रचना में ध्वनि का महत्वपूर्ण योगदान मानता है। ध्वनि से प्रकाश की उत्पत्ति और बिंदु रूप प्रकाश से ध्वनि की उत्पत्ति का सिद्धांत हिंदू धर्म का ही है।
जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ तब जो नाद था, घंटी की ध्वनि को उसी नाद का प्रतीक माना जाता है। यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जाग्रत होता है।
2 - जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती है। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वारा खुलते हैं। प्रात: और संध्या को ही घंटी बजाने का नियम है। वह भी लयपूर्ण।
3 - घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जब प्रलय काल आएगा तब भी इसी प्रकार का नाद यानि आवाज प्रकट होगी।
4 - जिन स्थानों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती है वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इससे नकारात्मक शक्तियां हटती है। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वारा खुलते हैं।
5 -स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के सौ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और यह भी कहा जाता है कि घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है।
घर में यदि सकारात्मक उर्जा और शांति का निर्माण करना है , तो प्रतिदिन सुबह और शाम मंदिर में घंटा या घंटी अवश्य बजाना चाहिए , मंदिर में घंटा या घंटी क्यों रखा जाता है ।
ऐसा करने से घर की नकारात्मक उर्जा नष्ट हो जाएगी। दु:स्वप्न नहीं आएंगे और घर में अमन शांति बनी रहेगी है। ग्रह कलेश नहीं रहता। बात बात पर लड़ाई झगड़ा नहीं होता।
आशा करते हैं , सारे सवालों का ,मंदिर में घंटा या घंटी क्यों रखा जाता है ( science behind temple bells ) सभी मंदिर में घंटी क्यों लगाई जाती है ? मंदिर में घंटी बजाने के पीछे कौन सा धार्मिक कारण हो सकता है? भगवान को भोग लगाने के लिए घंटी क्यों बजाते हैं? पूजा में गरुड़ घंटी का क्या है राज , मंदिर में घंटा या घंटी क्यों रखा जाता है। क्या कारण है इसका।
क्या मंदिर में घंटा या घंटी अवश्य बजाना चाहिए ? इस लेख सभी प्रश्नो का उत्तर मिल गया होगा। कोई और सवाल हो तो मैसेज कीजिए। जय श्री राधे।
जानकारी अच्छी लगी तो फॉलो कीजिए और दायीं और लाल घंटी को दबा दीजिए , ताकि अगली पोस्ट जल्दी से जल्दी आपके पास पहुंचे , धन्यवाद
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