तिलक कितने प्रकार के होते हैं और क्या है इनका आध्यात्मिक व वैज्ञानिक महत्व?
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हिन्दू / सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाने का बहुत महत्व है | तिलक एक छोटा-सा चिह्न
होता है, जो पूजा या अन्य धार्मिक अवसरों पर लगाया जाता है। तिलक लगाने के कई महत्व हैं -
1 - सफ़ेद चंदन का तिलक लगाने से सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
2 - इससे शांति और ऊर्जा मिलती है। यह ईश्वरीय आस्था का प्रतीक है।
3 - इससे सकारात्मकता आती है , और कुंडली में मौजूद उग्र ग्रह शांत होते हैं।
4 - तिलक लगाने से व्यक्ति के स्वभाव में सुधार आता है। तिलक लगाने से जीवन में यश बढ़ता है , और पापों का नाश होता है।
5 - तिलक लगाने से व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है। तिलक लगाने से व्यक्ति का आत्मविश्वास भी बढ़ता है , और वह अपने फैसले बहुत मजबूती से लेता है।
6 - तिलक लगाने से मस्तिष्क की तंत्रिकाएं शांत रहती हैं , और सिरदर्द जैसी गम्भीर समस्या दूर रहती है।
यहाँ पढ़ें - तिलक लगाने का वैज्ञानिक महत्व क्या है? , माथे पर तिलक लगाने का क्या फायदा है?
वैष्णव तिलक मंत्र क्या है ?
वैष्णव तिलक लगाने के लिए कुछ मंत्र हैं - - -
1 - माथे पर – ॐ केशवाय नमः
2 - वक्ष-स्थल – ॐ माधवाय नमः
3 - उदर के दाहिनी ओर – ॐ विष्णवे नमः
4 - उदर के बायीं ओर – ॐ वामनाय नमः
5 - नाभि के ऊपर – ॐ नारायणाय नमः
6 - कंठ – ॐ गोविन्दाय नमः
7 - दाहिना कन्धा – ॐ त्रिविक्रमाय नमः
8 - दाहिनी भुजा – ॐ मधुसूदनाय नमः
9 - बायां कन्धा – ॐ ऋषिकेशाय नमः
10 - पीठ का ऊपरी भाग – ॐ पद्मनाभाय नमः
11 - बायीं भुजा – ॐ श्रीधराय नमः
वैष्णव तिलक का अर्थ क्या है ?
वैष्णव तिलक लगाने वालों पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है , और श्रीकृष्ण का भी
आशीर्वाद प्राप्त होता है | इस तिलक को लगाने से व्यक्ति में आध्यात्म का संचार होता है , और
नकारात्मकता दूर होती है |
वैष्णव तिलक, माथे पर लगाया जाने वाला एक तिलक है | यह तिलक 'V' शेप में लगाया जाता
है | इसे पीले रंग के गोपी चंदन से लगाया जाता है |
वैष्णव तिलक लगाने वाले लोग भगवान विष्णु के अनुयायी होते हैं | इसके अलावा, भगवान
विष्णु के अवतारों की पूजा करने वाले लोग भी वैष्णव तिलक लगाते हैं | मान्यता है कि इस
तिलक को लगाने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं |
वैष्णव तिलक कितने प्रकार के होते हैं ?
हिंदू धर्म में तिलक के कई प्रकार होते हैं | इनमें से मुख्य रूप से तीन प्रकार के तिलक
होते हैं |
वैष्णव तिलक, शैव तिलक, ब्रह्म तिलक
तिलक के प्रकार हैं - - - -
चंदन , रोली , सिंदूर, गोपी , मृतिका , भस्म , लालश्री तिलक, , रामानंद तिलक , विष्णु स्वामी तिलक |
तिलक लगाने के कुछ नियम हैं - - -
1 - बिना स्नान और ध्यान के तिलक नहीं लगाना चाहिए |
2 - तिलक लगाने के बाद सोना नहीं चाहिए |
3 - सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए लाल चंदन का तिलक लगाना चाहिए |
4 - चंद्रमा देव को प्रसन्न करने के लिए सफ़ेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए |
5 - मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए नारंगी सिन्दूर का तिलक लगाना चाहिए |
6 - बुध देव को प्रसन्न करने के लिए अष्टगंध का तिलक लगाना चाहिए |
वैष्णव तिलक का महत्व क्या है ?
वैष्णव परंपरा में चौंसठ प्रकार के तिलक बताए गए है। इनमें प्रमुख हैं -
लालश्री तिलक - इसमें आसपास चंदन की व बीच में कुंकुम या हल्दी की खड़ी रेखा बनी होती है।
विष्णु स्वामी तिलक - यह तिलक माथे पर दो चौड़ी खड़ी रेखाओं से बनता है। यह तिलक संकरा होते हुए भोहों के बीच तक आता है।
वैष्णव तिलक को माथे पर उल्टा त्रिकोण रूप में लगाया जाता है | इसे अंग्रेजी वर्णमाला के V आकार में लगाया जाता है | इसे नाक के मध्य से लेकर माथे तक लगाया जाता है | इसे पीले रंग के गोपी चंदन से लगाया जाता है |
गोपी चंदन से लगाने का महत्व है - - -
गोपी चंदन तिलक को विष्णु के साथ वैष्णवों की संबद्धता के संकेत के रूप में धारण जाता है | इसे आम तौर पर माथे पर धारण जाता है, लेकिन इसे शरीर के अन्य हिस्सों जैसे कंधों पर भी पहना जा धारण है |
कितने प्रकार के होते हैं तिलक ?
सनातन अथवा हिंदू धर्म में तिलक लगाने की कई प्रकार है। तिलक पंथ और संप्रदाय के हिसाब से अलग अलग हो जाता है। सनातन धर्म में मुख्य रूप से शैव संप्रदाय , शाक्त संप्रदाय , वैष्णव संप्रदाय और अन्य प्रमुख संप्रदाय हैं, जो तिलक लगाते हैं। शैव संप्रदाय के लोग ललाट पर चंदन की आड़ी रेखा या त्रिपुंड लगाते हैं। वही शाक्त संप्रदाय के लोग सिंदूर से तिलक लगाते हैं , जिससे साधक की शक्ति व तेज में वृद्धि होती है।
तिलक के कई प्रकार हैं गणपत्य, तांत्रिक, कापालिक इत्यादि । जो विभिन्न साधु-संतों व सन्यासियों द्वारा धारण किया जाता है।
यहाँ पढ़ें - अलग वार का अलग तिलक ,कौन सा तिलक लगाना श्रेष्ठ होगा
किन-किन चीजों से लगाया जाता है तिलक ?
सनातन धर्म यानि हिंदू धर्म में विशेष रूप से चार चीजों से तिलक लगाया जाता है , कुमकुम, केसर, चंदन और भस्म। कुमकुम हल्दी, चूना इत्यादि मिलाकर बनता है। इसको लगाने से आज्ञा चक्र की शुद्धि होती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। केसर का तिलक लगाने से मस्तिष्क को शीतलता प्राप्त होती है। वहीं चंदन का तिलक दिमाग को शीतलता प्रदान करता है , और मानसिक शांति बनी रहती है। इसके साथ भस्म का तिलक लगाने से मस्तिष्क विषाणुओं से मुक्त रहता है , और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह निरंतर बना रहता है।
तिलक लगाने के लिए उंगलियों का क्या है विशेष महत्व ?
तिलक लगाने के लिए भी कुछ नियमों का वर्णन शास्त्रों में किया गया है। जिनका अलग अलग महत्व है। इस में से प्रत्येक उंगली से तिलक लगाना भी शामिल है। जो व्यक्ति मोक्ष की इच्छा रखते हैं उन्हें अंगूठे से तिलक लगाना चाहिए। देवताओं को मध्यमा उंगली से तिलक लगाना चाहिए। इसके साथ शत्रु के नाश के लिए या उन पर विजय प्राप्त करने के लिए तर्जनी उंगली से ललाट पर तिलक लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
धनवान बनने की इच्छा रखने वाले लोग मध्यमा उंगली से तिलक लगाएं। सुख-शांति की प्राप्ति के लिए अनामिका उंगली का प्रयोग करना चाहिए।
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