एक बार भगवान महादेव भी बड़ी दुविधा में फस गये
लोगों का बड़ा दिलचस्प सवाल है , भगवान का वास कहाँ है , ईश्वर का निवास कहाँ है ? Where God live ?
कहानी भाग - 1
लोगो की बढती आस्था और पूजा पाठ की प्रवृति से वो प्रसन्न तो थे |
परन्तु एक अलग ही दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था | जब भी कोई मनुष्य दुखी होता या मुश्किल में होता , वो भगवान के पास भागा भागा आता और उन्हें अपनी परेशानिया दूर करने को कहता |
मनुष्य की कुछ न कुछ मांगने की समस्या से दुखी और परेशान होकर , उन्होंने इस समस्या के निराकरण के लिए सभी देवताओं की बैठक बुलाई और उनसे इस सम्बन्ध में अपनी राय मांगी |
शंकर जी बोले कि ” मैं मनुष्य की रचना करके कष्ट में पड़ गया हूँ , अब न तो मैं कंही शांति पूर्वक रह सकता हूँ , और न ही कंही बैठकर ध्यान लगा सकता हूँ |”
सभी देवताओं से निवेदन है , कोई ऐसा स्थान बताएं जहाँ मनुष्य कभी न पहुँच पायें | भगवान के विचारों का आदर करते करते देवताओं ने अपने अपने विचार प्रकट किये |
श्री गणेश जी बोले आप हिमालय की चोटी पर चले जाएँ |तो भगवांन ने कहा वह स्थान तो मनुष्य की पहुँच में है | उसे वंहा पहुँचने में अधिक समय नहीं लगेगा |
इंद्र देव ने सलाह दी कि किसी महासागर में चले जाएँ | इस पर वरुण देव ने ये सलाह दी कि आप अन्तरिक्ष में चले जाएँ |
भगवान ने कहा एक दिन मनुष्य वंहा भी पहुँच जायेगा | भगवान निराश होने लगे।
तो अंत: में सूर्यदेव ने कहा भगवान् आप एक काम करें आप मनुष्य के हृदय में बैठ जाएँ , इस से मनुष्य हमेशा आपको बाहर ही तलाश करता रहेगा , पर यंहा अपने हृदय में कभी तलाश नहीं करेगा।
और कुछ ही योग्य लोग होंगे जो आप तक पहुँच पाएंगे इस से आपको कोई परेशानी भी नहीं होगी |
सूर्यदेव की बात भगवान को पसंद आई और भगवान उसी दिन मनुष्य के हृद्य में बैठ गये उस दिन के बाद से मनुष्य हर बाहरी जगह में भगवान को तलाश कर रहा है
लेकिन अपने हृदय में बैठे भगवान को नहीं देख पा रहा है जो उसके भीतर है || जय महाकाल
क्या भगवान सच में हमारी पुकार सुनते हैं ?
कहानी भाग - 2
।। हरे कृष्ण हरे कृष्ण ।।
एक सन्यासी घूमते-फिरते एक दुकान पर आये, दुकान मे अनेक छोटे-बड़े डिब्बे थे, सन्यासी के मन में जिज्ञासा उतपन्न हुई|
एक डिब्बे की ओर इशारा करते हुए सन्यासी ने दुकानदार से पूछा, इसमे क्या है ? दुकानदार ने कहा - इसमे नमक है !
सन्यासी ने फिर पूछा, इसके पास वाले मे क्या है ? दुकानदार ने कहा, इसमे हल्दी है |
इसी प्रकार सन्यासी पूछ्ते गए और दुकानदार बतलाता रहा।
अंत मे पीछे रखे डिब्बे का नंबर आया , सन्यासी ने पूछा उस अंतिम डिब्बे मे क्या है ?
दुकानदार बोला, उसमे श्रीकृष्ण है |
सन्यासी ने हैरान होते हुये पूछा श्रीकृष्ण ??
भला यह श्रीकृष्ण किस वस्तु का नाम है भाई ??
मैंने तो इस नाम के किसी समान के बारे में कभी नहीं सुना।
दुकानदार सन्यासी के भोलेपन पर हंस कर बोला - महात्मन , और डिब्बों मे तो भिन्न-भिन्न वस्तुएं हैं, पर यह डिब्बा खाली है,
हम खाली को खाली नही कहकर श्रीकृष्ण कहते हैं | संन्यासी की आंखें खुली की खुली रह गई |
जिस बात के लिये मैं दर दर भटक रहा था, वो बात मुझे आज एक व्यपारी से समझ आ रही है।
वो सन्यासी उस छोटे से किराने के दुकानदार के चरणों में गिर पड़ा ,,, ओह, तो खाली मे श्रीकृष्ण रहता है ?
सत्य है भाई , भरे हुए में श्रीकृष्ण को स्थान कहाँ ?
काम, क्रोध,लोभ,मोह, लालच, अभिमान,ईर्ष्या, द्वेष और भली- बुरी, सुख दुख, की बातों से जब दिल-दिमाग भरा रहेगा तो उसमें ईश्वर का वास कैसे होगा ?
श्रीकृष्ण यानी ईश्वर तो खाली याने साफ-सुथरे मन मे ही निवास करता है |
एक छोटी सी दुकान वाले ने सन्यासी को बहुत बड़ी बात समझा दी थी |
आज सन्यासी अपने आनंद में था।
।।जय श्री राधे कृष्णा, राधे राधे कहिए आनंद मे रहिए।।
अपने अंदर झांक कर देखिये , भगवान का वास कहाँ है , ईश्वर का निवास कहाँ है ? Where God live ? सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे। जय श्री राधे
महालक्ष्मी का वास कहाँ होता है ?
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