घर के देवी देवता को कैसे मनाये ? kuldevi mata

 

कुल देवी या कुलदेवता की पूजा सही तरीके / विधि विधान  से करते हो ,तो जिंदगी भर मौज करोगे ,चौहुंमुखी तरक्की होगी।

घर के देवी देवता को कैसे मनाये ? kuldevi mata


बहुत लोगों के प्रश्न होते हैं , कुलदेवी की सरल पूजा विधि , कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए , कुलदेवी पूजा मंत्र , कुलदेवी को कैसे पहचाने। इस लेख में इन प्रश्नों का विस्तार से उत्तर दिया है। पूरा पढ़ें , ये INSTAGRAM पर भी इस प्रकार की पोस्ट डालते हैं । 


यदि आप भी अपने कुलदेवता और देवी की पूजा करते हो तो , आपको कुछ सावधानियों की जरूरत है। 


सभी कुलों / परिवारों की एक कुलदेवी / कुलदेवता होते हैं।  इनकी पूजा खास मौकों पर की जाती है | जैसे घर में विवाह होने पर दुल्हन को कुलदेवी / कुलदेवता के दर्शन करवाएं जाते हैं। 


 घर में संतान होने पर बच्चे को कुलदेवी / कुलदेवता के दर्शन करवाएं जाते हैं , मुंडन संस्कार करवाया जाता है , ये कुल में नय सदस्य की कुलदेवी माता के दरबार में हाजरी होती है। 


लेकिन कुछ लोग रोजाना कुलदेवी / कुलदेवता की पूजा करते हैं। 


कुलदेवी पूजा मंत्र , कुलदेवी की स्थापना कैसे करें

और वो फलित नहीं होती ,संकटों से घिरे रहते है। दरअसल लोगों को कुलदेवी पूजा का सही तरीका पता नहीं।  कुलदेवी की पूजा बिलकुल आसान और बिना खर्चे की है।  तो आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।  जानिए आपको क्या करना है और क्या नहीं। 

घर में पूजा करने से ना सिर्फ मन को शांति मिलती है , बल्कि घर का वातावरण भी अच्छा रहता है। घर में कुलदेवता और कुलदेवी की पूजा करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। 

आपकी कुलदेवी कौन पता नहीं , कोई बात नहीं , ये कीजिए। 


आपके बड़े बुजुर्ग ,आस पड़ोस की बुजुर्ग ओरतें जरूर जानती होंगी आपकी कुल देवी कौन हैं ,या फिर आपके गोत्र के कुनबे के लोग ,चाचा ,ताऊ , बुआ | 


उन्ही से पता कीजिए ,थोड़ी कोशिश करनी होगी ,इधर उधर फ़ोन घुमाओ ,कुल देवी और उसका दिन , बार , तिथि का पता करो | 


अगर पता चल जाता है तो पांच -सात दिन दीपक करो ,शुक्रवार से शुरू कीजिए  ,उसके बाद महीने में एक दिन होता है कुल देवी का उस शाम को खीर बनाओ और माता का भोग लगाओ। 

यदि कुलदेवी कौन पता नहीं , कोई बात नहीं , ये कीजिए। 


किसी भी दिन साबुत सुपारी खरीदें ( सुपारी खंडित ना हो साबुत होनी चाहिए ) शुक्रवार सुबह नित्ये कर्म से निबट कर पूजा के स्थान पर एक सिक्का रखें ,उस पर सुपारी रखें ,पास में घी का दीपक जलाएं। 


जल की कुछ बुँदे सुपारी को अर्पित कीजिए , सुपारी के ऊपर मौली रख कर कहिए - माता जी वस्त्र अर्पित कर रहे हैं। सुपारी पर सिंदूर लगा कर कहें - माता जी श्रृंगार ग्रहण कीजिए।


 और हाथ जोड़ कर कहें - हे माता जी कोई भूल चूक हुई हो तो अपना समझ कर माफ़ कीजिए। हमारे घर पर स्थान ग्रहण कीजिए।


 घर के सभी सदस्यों को आशीर्वाद दीजिए और मार्गदर्शन कीजिए। और मुझे दर्शन दीजिए। सुपारी को कुलदेवी मानकर वहीँ रहने दीजिए।


 मौली चढ़ते ही सुपारी गौरी गणेश का रूप ले लेती है। अब हर रोज शाम को घी का दीपक जलाएं ,और प्रार्थना करें माता जी दर्शन दीजिए। माता प्रसन्न होते ही दर्शन देगी ,या कोई रास्ता दिखाएगी।


कुलदेवी की पूजा करते समय हमेशा शुद्ध देसी घी का दीया ही जलाना है।  कुलदेवी की पूजा महीने में एक बार जरूर कीजिए।


 दिनवार का पता न हो तो हर महीने शुक्ल पक्ष की अस्टमी को सूर्यास्त के बाद धोक ,पूजा कीजिए। खीर का भोग बताया है ,ये केवल घर के सदस्य ही खाएंगे किसी बाहर वाले को नहीं देना। 

 इस दिन दूध का दान नहीं करना ,किसी देवता को भी नहीं चढ़ाना। इस तरह आप कुलदेवी की पूजा करेंगे तो आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी | 


कुलदेवी की पूजा का यह सर्वश्रेष्ठ और घरेलू तरीका है , सरल और सिद्ध पूजा है। ये आंख बंद करके कीजिए ,किसी से पूछने की जरूरत नहीं। जिंदगी भर मौज करोगे।

आशा करते हैं ,सभी प्रश्नो के उत्तर मिल गए होंगे , कुलदेवी की सरल पूजा विधि , कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए , कुलदेवी पूजा मंत्र , कुलदेवी को कैसे पहचाने। और कोई प्रश्न हो तो टिपण्णी कीजिए।  लेख अच्छा लगा तो फॉलो कीजिए ,शेयर कीजिए। जय श्री राधे 


कुलदेवी कौन होती है


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गीता जी वेदांत




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