सूंदर प्रश्न है - ज्योतिष का धर्म से क्या संबंध है ? jyotish and vastu
प्राचीन समय में भी कई सभ्यता ग्रह , नक्षत्र , सितारों इत्यादि की पूजा करते थे ।
माया सभ्यता ,मिस्र , पेरु और अमेरिका की पुरानी सभ्यता में ग्रह-नक्षत्र और तारों की पूजा करते हुए पत्थरों पर चित्र भी पाए हैं।
असल में ज्योतिष के दो अंग हैं -
एक है गणित ज्योतिष , और दूसरा है फलित ज्योतिष
पहले ज्योतिष का अंग है गणित ज्योतिष , यह सभी धर्मों के अनुसार लागू है , जैसे कि सुबह का पूजा पाठ कब करना है ? शाम को कब किया जाना चाहिए।
ये सभी धर्मों में एक तय समय पर किए गए हैं।
( हिंदू ,मुस्लिम ,सिख , ईसाई सभी के धार्मिक त्योहार / पर्व एक कालगणना से ही निर्धारित किए हैं , कि ,कब छठ पूजा होगी , कब दुर्गा पूजा होगी ,कब सरस्वती पूजा होगी कब रमजान होगा दीपावली होगी इत्यादि )
ज्योतिष वेदांग है जिसको वेद की आंख माना गया है |
मैं यहां पर कोई शास्त्र-सम्मत प्रमाण नहीं दूंगा , आसान भाषा में ही आपको बताऊंगा।
ज्योतिष कोई जादू की छड़ी नहीं है। ज्योतिष एक विज्ञानं है।
ज्योतिष में जो ग्रह आपको नुकसान करते है, उनके प्रभाव को कम कर दिया जाता है , और जो ग्रह शुभ फल देता है, उनके प्रभाव को बढ़ा दिया जाता है।
जैसे ,ज्योतिष बारिश नहीं रोक सकता ,लेकिन ये बता सकता है की आज आप घर से बाहर जाओ तो छतरी लेकर जाना।
ज्योतिष और धर्म आपस में जुड़े हुए हैं। ज्योतिष एक वेदांग है , वेदांग की सहायता से ही वेद के अर्थ को हम समझ सकते हैं।
आपके बहुत प्रश्न होंगे , ज्योतिष विद्या क्या है ? ज्योतिष विद्या का रहस्य क्या है? ज्योतिष विद्या को
मानना चाहिए या नहीं ? ,ज्योतिष का धर्म से क्या संबंध है ? सारे उतर इस ब्लॉग में मिलेंगे ,कोई
और जिज्ञाषा हो तो मैसेज कीजिए। जय श्री राधे
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