दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले और बाद में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे विच्चे का पाठ जरुर करना चाहिए। पाठ करने के बाद मां दुर्गा से क्षमा जरुर मांगें।
दुर्गा सप्तशती के तीन भाग हैं. इनमें महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती की महिमा का बखान किया गया है.
माना जाता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं
दुर्गासप्तशती का पाठ रोजाना करने के लिए कुछ विधियाँ और नियम होते हैं, जिनका पालन करने से यह पाठ और भी फलदायी हो सकता है। यह पाठ माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है। यहाँ दुर्गासप्तशती का पाठ करने की सरल विधि दी गई है:
1. समय और स्थान का चयन
• दुर्गासप्तशती का पाठ करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। यदि यह संभव न हो, तो आप इसे सुबह-सुबह स्नान के बाद भी कर सकते हैं।
• साफ-सुथरे, शांत स्थान पर माँ दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें और पूजा स्थल को शुद्ध रखें।
2. स्नान और वस्त्र
• पाठ से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
• आसन के लिए कुश, ऊनी या रेशमी आसन का प्रयोग करें।
3. संकल्प लें
• पाठ शुरू करने से पहले संकल्प लें कि आप माँ दुर्गा की कृपा के लिए यह पाठ कर रहे हैं। संकल्प में अपने मनोकामना का ध्यान करें।
4. पूजा की सामग्री
• माँ दुर्गा के चरणों में दीपक, अगरबत्ती, लाल फूल, कुमकुम, चावल आदि अर्पित करें।
• पाठ के दौरान दुर्गा सप्तशती ग्रंथ, जल और पुष्प को अपने पास रखें।
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5. पाठ की विधि
• कवच, अर्गला स्तोत्र, और कीलक: दुर्गासप्तशती के मुख्य 13 अध्यायों का पाठ करने से पहले कवच, अर्गला स्तोत्र और कीलक का पाठ करें। ये तीनों ही पाठ की रक्षा करने और शक्ति प्रदान करने में सहायक माने जाते हैं।
• मूल पाठ (13 अध्याय): आप प्रतिदिन दुर्गासप्तशती के एक, तीन, पांच, सात या सभी तेरह अध्यायों का पाठ कर सकते हैं। रोजाना सभी 13 अध्यायों का पाठ करना थोड़ा कठिन हो सकता है, इसलिए आवश्यकता और समय के अनुसार अध्यायों की संख्या तय करें।
• दुर्गा सप्तशती के बीज मंत्रों का जाप: पाठ के बाद दुर्गा सप्तशती के बीज मंत्रों का जाप करें। यह पाठ को और भी प्रभावी बनाता है।
6. समापन और आरती
• पाठ के समापन पर माँ दुर्गा की आरती करें और उन्हें प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद, शांति मंत्र और क्षमा प्रार्थना करें ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए माँ दुर्गा से क्षमा मांगी जा सके।
7. अन्य ध्यान योग्य बातें
• दुर्गासप्तशती का पाठ करते समय पूरी एकाग्रता बनाए रखें और मन को शांत रखें।
• पाठ के दौरान और उसके बाद माँ दुर्गा से प्रार्थना करें कि वह आपकी मनोकामना पूर्ण करें और जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करें।
इस विधि से रोजाना दुर्गासप्तशती का पाठ करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
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