नवरात्रि पूजा कैसे करें ? हर घर के लिए सरल पूजा प्रक्रिया ,navratri 2023

 शारदीय नवरात्री  2023 कब है ?


रविवार , 15 अक्टूबर , 2023 से मंगलवार , 24 अक्टूबर, 2023


नवरात्रि की शुरुआत कैसे हुई , नवरात्रि की विशेषता क्या है ?

नवरात्रि पूजा कैसे करें ? हर घर के लिए सरल पूजा प्रक्रिया ,navratri 2023



सनातन या हिंदू धर्म के अनुसार शारदीय नवरात्री की शुरुआत भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान श्रीराम ने सबसे पहले समुद्र किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा की शुरुआत की थी।  


 लंका में रावण से युद्ध से पहले श्रीराम ने लगातार 9 दिनों तक शक्त‍ि की प्रतीक मां दुर्गा की पूजा की थी।  तभी श्रीराम को लंका पर जीत हासिल हुई।  इसी के बाद से नवरात्र में नौ दिनों तक देवी की उपासना का चलन शुरु हो गया। 


नौं दिनों तक देवी की पूजा करने के बाद दसवें दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन श्रीराम ने रावण का वध किया था।


नवरात्रि की विशेषता क्या है ?


"नव" का अर्थ होता है "नौ" और "रात्रि" का अर्थ होता है "रात"। इस त्योहार का नाम इसके नौ दिनों के आवासान तक मनाने के परंपरागत तरीके से है। नवरात्रि का उद्देश्य भगवान दुर्गा की पूजा और महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती आदि देवी देवताओं की आराधना करना होता है।


नवरात्रि नौ दिनों और नौ रातों तक चलता है और यह भगवान दुर्गा के नौ अवतारों को याद करने का समय होता है। इस त्योहार के दौरान, लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, और देवी के लिए भोग लगाते हैं। 


नवरात्रि के दौरान आराधना, भजन, और किर्तन का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग देवी की महिमा गाते हैं और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। त्योहार के आखिरी दिन को "विजयादशमी" कहा जाता है और इस दिन विशेष रूप से शस्त्र पूजा और शस्त्राग्रहण का आयोजन किया जाता है।


जिन हिन्दू परिवारों को अपनी कुलदेवी का पता नहीं या किसी कारण से कुलदेवी का पूजा पाठ छोड़ दिया है।  उस घर का आध्यात्मिक सुरक्षा चक्र टूट जाता है। जिस कारण पितृ देव भी साथ नहीं देते। 


यदि कुलदेवी की कृपा ना हो तो , उस घर के सभी मंगल कार्य रुक जाते हैं।  शादी विवाह में रुकावट ,शादी हो गई तो आपस में बनती नहीं , टूट जाती जाती है। संतान प्राप्ति में अड़चन। 


आप बिज़नेस करते हो ,नुकसान हो जाता है। फिरआप नुकसान की भरपाई के लिए पैसा उठाते हो। कर्जा हो जाता है। फिर घर की जरूरतें पूरी नहीं होती ,घर में कलेश शुरू हो जाता है। 


फिर आपके नजदीकी रिश्तेदार ,परिवार वाले  , लोगों को आपके लिए कहते है ,इसको पैसे दे दिए हम जिम्मेवार नहीं ,हमारे पास नहीं आना। ये पितृ दोष है ,पितृ देव साथ नहीं दे रहे । ये है कुलदेवी का घर में पगफेरा न होना ,यानी कुलदेवी की कृपा द्रष्टि न होना भी है ।


नवरात्री पूजा विधि , नवरात्री सरल पूजा विधि , navratri 2023


शारदीय नवरात्री के पहले दिन सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान आदि से निवृत होकर साफ़ कपड़े पहने।  इसके बाद चौकी को गंगाजल से साफ करके मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें। 


 इसके बाद कलश स्थापना करें। नवरात्री के कलश के उपर कलावा बांधे और उपर आम या अशोक के पत्ते रखे।  उसके ऊपर एक नारियल रखें। अब एक घी का दीपक जलाएं  ये बहुत ही शुभ रहता है। 


 और मां शैलपुत्री का ध्यान करें और अपने घर की सुख शांति का आशीर्वाद मांगें ।  इसके बाद माता को रोली-चावल लगाएं और सफेद फूल मां को चढ़ाएं। 


उसके बाद माता जी की पहले दिन की कथा पढ़ें। सबकुछ आसान है ,पुस्तक में सब लिखा है। पूजा विधि भी पुस्तक में विस्तार से बताई ही है। पुस्तक आपके पास है तो ठीक है , नहीं तो इस लेख के अंत में लिंक डाल देंगे 99  /- की रूपए की ऑनलाइन मंगवा सकते हो। 



नवरात्रि और शिवरात्रि में रात्रि शब्द क्यों आया है , शिवरात्रि व नवरात्रि में रात्रि का रहस्य क्या है ?


शिवरात्रि शिव की आराधना व पूजा होती है, रात्री जागरण का भी प्रावधान है , रात्रि में शिव का यथाशक्ति पूजा अर्चना व अभिषेक ,आरती की जाती है,


नवरात्रि शक्ति पूजा का उत्सव है जो साल में दो बार मनाया जाता है


अश्विन सुदी या शुक्ल प्रतिपदा से दशहरे तक पूजा अर्चना आरती, और महिलाएं माता की कृपा पाने के लिए व्रत रखती हैं। इस नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं


शिवरात्रि व नवरात्रि दोनों शिव और शक्ति की पूजा के अवसर हैं


शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि में क्या मुख्य अंतर है ?



नौ शक्तियों से युक्त होने के कारण इसे नवरात्रि कहा गया है। वासंतिक नवरात्र को शयनाख्य और शारदीय नवरात्र को बोधनाख्य कहा जाता है। वासंतिक नवरात्र में शक्ति के साथ शक्ति धर‌ श्री विष्णु भगवान भी पूजित होते हैं। 


 शारदीय नवरात्र में शक्ति पूजा का विशेष महत्व है। वासंतिक नवरात्र से शारदीय नवरात्र अधिक प़सिद्ध, प़शस्त- व्यापक है। कुमारी पूजन सभी नवरात्रि का महत्व पूर्ण और अनिवार्य अंग है। 


नवरात्र व्रत का अनुष्ठान करने वाले जितने संयत, नियमित, अंदर बाहर से शुद्ध रहते हैं उतनी मात्रा में उन्हें सफलता प्राप्त होती है।  कुमारी पूजन में दस वर्ष तक की कन्या 7 कन्या को माता का प्रशाद और कोई छोटा मोटा बर्तन ,कटोरी ,प्लेट ,थाली ,गिलास इनमे से कोई एक अर्पित करना होता है। 


दशमी को पूजन के बाद आरती करके फिर नवरात्री में पूजा पाठ का सारा सामान  ,बहते पानी ,झील ,तालाब ,नदी ,इत्यादि में विसर्जन करना चाहिए । 


नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण जानिए नवरात्रि के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या हैं ऋतु संधि - नवरात्रि आमतौर पर ऋतु संधि के दौरान आते हैं, जो दो ऋतुओं के बीच संक्रमण का समय होता है। इस दौरान मौसम में बदलाव होता है, जिससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। नवरात्रि के दौरान उपवास, साफ-सफाई और पूजा-पाठ करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे इन बीमारियों से बचाव होता है। शरीर की शुद्धि - नवरात्रि के दौरान उपवास करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है। मन की शांति - नवरात्रि के दौरान ध्यान, योग और भक्ति करने से मन को शांति मिलती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले कार्यों के पीछे वैज्ञानिक कारण उपवास - उपवास करने से शरीर को आराम मिलता है और पाचन तंत्र को ठीक होने का मौका मिलता है। साफ-सफाई - नवरात्रि के दौरान घर, मंदिर और आसपास की जगहों को साफ-सुथरा रखना चाहिए। इससे वातावरण शुद्ध रहता है और बीमारियों से बचाव होता है। ध्यान और योग - ध्यान और योग करने से मन को शांति मिलती है, तनाव कम होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। भक्ति - भक्ति करने से मन को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और जीवन में खुशी आती है। नवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से लाभ पहुंचाता है। इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों से इसकी महत्ता और बढ़ जाती है।


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गीता जी वेदांत


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