कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए ? worship kuldevi or kuldevta

कुलदेवी मना ली , तो समझो सभी देवता खुश |


कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए ? worship kuldevi or kuldevta


कुछ सवाल जो बार बार पूछे जाते हैं जैसे ,  कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए ? worship kuldevi or कुलदेवता , कुलदेवी की स्थापना कैसे की जाती है? कुलदेवी को क्या भोग लगाना चाहिए? कुलदेवी पूजा मंत्र क्या है , इस लेख में विस्तार से जवाब देंगे ध्यान से पढ़ें।

देवी माता की धोक / पूजा महीने में एक बार शुक्ल पक्ष में ही लगाई जाती है , अलग अलग माता का दिन ,वॉर भी अलग होता है ।


जैसे शेरों वाली माता ( शीतला माता , गुड़गांव वाली माता यदि किसी की कुलदेवी है ,

तो इसकी पूजा शुक्लपक्ष की अस्टमी को  ही होगी। कोई भी कुलदेवी हो ,पूजा सूर्यास्त

के बाद ही होती है।


                     कुलदेवी की स्थापना कैसे की जाती है?


यदि कुलदेवी का पता है , और उनकी नियमित पूजा करते हो तो किसी के आगे हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं ,कुलदेवी का मतलब सौ सुनार की , और एक लुहार की |


 लेकिन बहुत से लोगों को अपनी कुलदेवी का ही पता नहीं |


आज इसका उपाय बताता हूँ | किसी भी दिन सुपारी लें (सुपारी खंडित न हो ,साबुत होनी चाहिए ) सुबह नित्यकर्म से निबट कर पूजा के स्थान पर एक रूपए का सिक्का रखें ,उस पर सुपारी रखें | 


जल के पात्र से कुछ बुँदे पानी की सुपारी पर डालिए ,एक मौली का धागा सुपारी पर रख कर कहिये -माता जी वस्त्र अर्पित कर रहा हूँ , सुपारी पर सिन्दूर लगा कर कहिये -माता जी श्रृंगार ग्रहण करें  |


 घी का दीपक जलाएं और कहें माता जी कोई गलती हो गयी हो तो अपना समझ कर माफ़ कीजिये ,मेरी रक्षा कीजिये ,और मेरे घर पर स्थान ग्रहण कीजिए | और मुझे दर्शन दीजिए | 


सुपारी को कुलदेवी मान कर उसी जगह रहने दें | मौली चढ़ते ही सुपारी गौरी गणेश का रूप ले लेती है | अब हर रोज शाम को दीपक जलाएं और कहें माता जी दर्शन दीजिए | 


माता प्रसन्न होते ही अपनेआप ही कोई रास्ता दिखाएगी |



                    कुलदेवी को क्या भोग लगाना चाहिए ?


 कुलदेवी माता जी के लिए सबसे उत्तम भोग खीर का होता है।


खीर बनने के तुरंत बाद बाद ,भोग के लिए अलग साफ़ कटोरी में खीर निकालिए ,फिर

माता की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष घी का दीप लगाकर , कटोरी से एक चुटकी खीर का

भोग कुलदेवी माता को लगाइये। 


अब सारे घरवाले अपनी अपनी मनोकामना माताजी को मन ही मन बताते है और धोक लगाते हैं। अब जिस कटोरी से माता जी के लिए भोग अर्पित किया था ,उसमे बची खीर केवल पुरुष या बेटा ही खायेगा। बाकि बची खीर महिला पुरुष खा सकते हैं।


 इस खीर को प्रशाद के रूप में भी किसी बाहर वाले को नहीं देना है।


इस दिन दूध या दूध से बनी वस्तु दान नहीं करना। पूरा दिन शाकाहारी रहे ,नशे ,शराब इत्यादि से दूर रहें।


हिन्दू धर्म में प्रत्येक गोत्र के लिए अपने-अपने कुलदेवी और कुलदेवता की पूजा करने

की रिवाज है । हरेक शुभ कार्य में चाहे परिवार में किसी की  शादी विवाह हो , तो नववधू

को कुलदेवी / कुलदेवता पूजा एवं दर्शन के लिए ले जाते हैं।


 बच्चे का मुण्डन संस्कार हो , तब भी इनकी पूजा की परम्परा है।  बच्चे के सच्चे बाल कुलदेवी को ही चढ़ाये जाते है |


 ये माता के दरबार में कुल के नए सदस्य की हाजरी मानी जाती है । 


अपने-अपने वंश में हमारे पूर्वजों द्वारा जो भी देवी-देवता पूजित होते आ रहे हों, आराध्य

हों; याद करके उनका पूजन जरूर करना चाहिए  करना चाहिए । जो भी इनकी पूजा श्रद्धा पूर्वक करता है ,उस घर में कभी पितृ दोष नहीं लगता। 


 कैसे पता चले कि कुलदेवी कौन है ?


इनकी पूजा के लाभ , और भी कई हैं ----


इससे समाज में कुल, वंश मान मर्यादा बढ़ती है । वंश में अकाल मृत्यु नहीं होती । परिवार में सर्वश्रेठ संतानें जन्म लेती हैं | परिवार में सुख-सम्रद्धि और सम्पन्नता रहती है । बच्चे संस्कारी बनते हैं  बनते हैं । 


पूर्वजों की परम्परा को निभाने से । परिवार दीर्घायु होता है और फलता फूलता है। कुल के सभी सदस्य तरक्की करते है , सभी मंगल कार्य समय पर होते हैं। 


कुलदेवी मना ली , तो समझो सभी देवता खुश |


आशा करते हैं इन सवालों के जवाब मिल गए होंगे , instagram पर मैंने इस विषय पर काफी बताया भी हुआ है,  कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए ? worship kuldevi or कुलदेवता , कुलदेवी की स्थापना कैसे की जाती है? कुलदेवी को क्या भोग लगाना चाहिए? कुलदेवी पूजा मंत्र , कोई और प्रसन्न हो तो मैसेज कीजिए। जय श्री राधे 

कुलदेवी की पूजा क्यों जरूरी है , कुलदेवी पूजा मंत्र , astrology kuldevi poojan

सभी प्रकार की ज्योतिषीय और आध्यात्मिक समस्याओं के लिए सम्पर्क करें  

whatsapp  7206661495 

गीता जी वेदांत 


और नया पुराने