कुलदेवी मना ली ,तो समझो सारे ग्रह आपके अनुकूल होंगे।
कई लोगों का सवाल है , कैसे पता चले कि कुलदेवी कौन है , how to know who is kuldevi
ये बात खोज का विषय है , कुलदेवी कौन है | लोगों ने अब भागदौड़ भरे जीवन , बिज़नेस ,रोजी रोटी ,नौकरी के चक्कर में लोग अपनी जड़ों से दूर हो गये , अपने पूर्वजो के जन्म स्थान से भी दूर हो गए |
लोगों को पता ही नहीं कुलमाता कौन है ,उसका पूजा पाठ कैसे किया जाता है।
अपने पूर्वजो के बनाए रीती रिवाज भी छोड़ दिए। कुलदेवी और कुलदेवता की मान्यता , पूजा पाठ ,उनका मान सम्मान भी छोड़ दिया।
आपके बड़े बुजुर्ग ,आस पड़ोस की बुजुर्ग ओरतें जरूर जानती होंगी आपकी कुल देवी कौन हैं ,या फिर आपके गोत्र के कुनबे के लोग ,चाचा ,ताऊ , बुआ | उन्ही से पता कीजिए ,थोड़ी कोशिश करनी होगी ,इधर उधर फ़ोन घुमाओ ,कुल देवी और उसका दिन , वार , तिथि का पता करो |
अगर पता चल जाता है , तो लगातार 7 शुक्रवार को माता का घी का दीपक करो। ,उसके बाद महीने में एक दिन होता है , उस दिन शाम को खीर बनाओ बनाओ और माता का भोग लगाओ।
काफी कोशिश के बाद भी कुलदेवी का पता न चले तो ये उपाय कीजिए
किसी भी दिन साबुत सुपारी खरीदें ( सुपारी खंडित ना हो साबुत होनी चाहिए ) शुक्रवार सुबह नित्ये कर्म से निबटकर पूजा के स्थान पर एक सिक्का रखें ,उस पर सुपारी रखें ,पास में घी का दीपक जलाएं।
जल की कुछ बुँदे सुपारी को अर्पित कीजिए , सुपारी के ऊपर मौली रख कर कहिए - माता जी वस्त्र अर्पित कर रहे हैं।
सुपारी पर सिंदूर लगा कर कहें - माता जी श्रृंगार ग्रहण कीजिए।
और हाथ जोड़ कर कहें - हे माता जी कोई भूल चूक हुई हो तो अपना समझ कर माफ़ कीजिए। हमारे घर पर स्थान ग्रहण कीजिए। घर के सभी सदस्यों को आशीर्वाद दीजिए और मार्गदर्शन कीजिए।
और मुझे दर्शन दीजिए। सुपारी को कुलदेवी मान कर वहीँ रहने दीजिए।
मौली चढ़ते ही सुपारी गौरी गणेश का रूप ले लेती है। अब हर रोज शाम को घी का दीपक जलाएं ,और प्रार्थना करें माता जी दर्शन दीजिए।
माता प्रसन्न होते ही दर्शन देगी ,या कोई रास्ता दिखाएगी।
आशा करते है आपका संशय दूर हो गया होगा ,कैसे पता चले कि कुलदेवी कौन है , how to know who is कुलदेवी , कोई और सवाल हो तो टिपण्णी कीजिए। जय कुलदेवी माता
कुलदेवी की पूजा किस दिन करनी चाहिए ? worship kuldevi or kuldevta
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