भगवान् श्री विश्वकर्मा जी रोजी रोटी के देवता हैं
बहुत सवाल पूछते हैं , भगवान विश्वकर्मा जी पूजा क्यों होती है ? विश्वकर्मा देव पूजा के क्या फायदे हैं ? विश्वकर्मा जी पूजा का क्या महत्व है? , विश्वकर्मा जी की पूजा 17 सितंबर को ही क्यों होती है? , विश्वकर्मा भगवान की फोटो ,हम भारतीय विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाते हैं , vishavkarma JI , सभी सवालों के जवाब विस्तार से देंगे ,यह लेख ध्यान से पढ़ें
विश्वकर्मा पूजा 2023 तिथि
विश्वकर्मा जी पूजा कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष कन्या संक्रांति 17 सितंबर 2023, रविवार के दिन पड़ रही है। ऐसे में विश्वकर्मा भगवान की पूजा भी इसी दिन की जाएगी। पंचांग के अनुसार, पूजा समय दोपहर 01 बजकर 43 मिनट रहेगा और इसी समय सूर्य गोचर करेंगे।
विश्वकर्मा जी की पूजा 17 सितंबर को ही क्यों होती है?
श्री विश्वकर्मा जी जयंती को लेकर हिन्दू धर्म में कई मान्यताएं हैं। कुछ धर्मपंडितों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म अश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को हुआ था, जबकि कुछ का मानना है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को विश्वकर्मा पूजा करना शुभ होता है। इसलिए विश्वकर्मा पूजा को सूर्य के पारगमन के आधार पर तय किया जाता है। इस कारण हर साल 17 सितंबर को ही विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
भगवान विश्वकर्मा जी पूजा क्यों होती है ? विश्वकर्मा देव पूजा के क्या फायदे हैं ? विश्वकर्मा जी पूजा का क्या महत्व है?
प्रत्येक साल विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिन मन जाता है , इसलिए इसे विश्वकर्मा जयंती भी कहते हैं। भगवान विश्वकर्मा जी को दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इसलिए इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है।
इनकी पूजा सभी मिस्त्रियों , मशीन उद्योग से जुड़े व्यक्ति , कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक घरानों द्वारा की जाती है।
प्राचीन काल में जितनी राजधानियां थी, सभी विश्वकर्मा जी की ही बनाई कही जाती हैं। यहां तक कि सतयुग का 'स्वर्ग लोक', त्रेता युग की 'लंका', द्वापर की 'द्वारिका' और कलयुग का 'हस्तिनापुर' आदि विश्वकर्मा जी द्वारा ही रचित हैं।
'सुदामापुरी' की तत्क्षण रचना के बारे में भी यह कहा जाता है कि उसके निर्माता विश्वकर्मा जी ही थे। इससे यह आशय लगाया जाता है कि धन-धान्य और सुख-समृद्धि की अभिलाषा रखने वाले पुरुषों को बाबा विश्वकर्मा की पूजा करना आवश्यक और मंगलदायी होता है।
हम भारतीय विश्वकर्मा पूजा क्यों मनाते हैं?
आज का युग मशीनों का है। हर जगह इंसान मशीनों पर निर्भर है , घरेलु से लेकर , निर्माण , कृषि , कारखाने । ऐसे में मशीनों को हम निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा मानकर पूजा करते हैं। विश्वकर्मा पूजा मशीनों के प्रति कृतज्ञता जताने का दिन है। जिंदगी को आसान बनाने और रोजी रोटी का जरिया बनने के लिए हम इस दिन मशीनों के प्रति आभार जताते हैं।
सृजन के देवता हैं विश्वकर्मा
इस दिन मशीनों की पूजा करते हैं और जीवन को आसान और सरल बनाने वाले मशीनों के प्रति आभार जताते हैं। मशीने हमारे जीवन को सिर्फ आसान हीं नहीं बनाता बल्कि आर्थिक रूप से हम मशीनों पर आश्रित हैं।उपार्जन का स्रोत भी बनता है। हमारा हरेक पल मशीनों के साथ बीतता है। हम-सब मशीनों के ऋणी है। मशीनों को हम निर्माण और सृजन के देवता विश्वकर्मा मानकर पूजा करते हैं।
हर जगह मशीन है हर हाथ में मशीन है। हर दिन मशीन अलग-अलग रूपों में हमारे पास आ रहा है और हमें सहयोग कर रहा है। ऐसे में विश्वकर्मा पूजा पर उनकी आराधना कर उनकी उपयोगिता को नमन करना है।
विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja vidhi)
विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ - सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद अपने ऑफिस, दुकान या फैक्ट्री की अच्छे से साफ सफाई करें, साथ ही अपने कामकाजी उपकरणों, औजार और मशीनों आदि की भी अच्छे से साफ सफाई करें।
इसके बाद अपने कार्यक्षेत्र में गंगाजल का छिड़काव करें। पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और लाल चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर विश्वकर्मा जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
और किसी अखबार से काट कर विश्वकर्मा जी की फोटो मत चिपकाइये। उनकी कृपा से रोजी रोटी है। बाजार से सुन्दर सी फोटो ला सकते हो। या ऑनलाइन निचे लिंक दिया है वहां से ले सकते हो।
भगवान् विश्वकर्मा जी की जय हो
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