मंदिर की सीढ़ी पर क्यों बैठते हैं, जानिए राज | Why sit outside temple after offer prayer

कोई फायदा नहीं मंदिर जाने का , यदि ऐसा नहीं करते 

मंदिर की सीढ़ी पर क्यों बैठते हैं, जानिए राज | Why sit outside temple after offer prayer


हमारे बड़े बुजुर्ग कहते थे , जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं , तो दर्शन करने के बाद , मंदिर की ,सीढ़ी , पैड़ी या ओटले पर थोड़ी देर बैठना चाहिए ।

 मंदिर की सीढ़ी पर क्यों बैठते हैं, जानिए राज | Why sit outside temple after offer प्रेयर , मंदिर की सीढ़ियों पर क्यों बैठना चाहिए ? हम दर्शन के बाद मंदिर में क्यों बैठते हैं ? हमें मंदिर क्यों जाना चाहिए ? हम प्रतिदिन मंदिर में क्यों जाते हैं? क्या आप जानते हैं  , इसका कारण क्या है ? इस परंपरा का क्या कारण है?

लोग पता है , क्या करते हैं , मंदिर की सीढ़ी / पैड़ी पर बैठकर अपने घर की , व्यापार की और राजनीति की बातें करते हैं। 


लेकिन मंदिर में सीढ़ी , पैड़ी एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई जाती हैं । असल में मंदिर की सीढ़ी / पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक लोग भूल चुके हैं। इस भाग दौड़ वाली जिंदगी में किसी को इसका पता ही नहीं है।


श्रीमान जी  इस श्लोक को सुनिए , और आने वाली पीढ़ी को भी इसके बारे में बताईये। अपने बच्चों को सनातन धर्म का विज्ञानं समझाएं। धरती पर ये ही एक धर्म है जो विज्ञानं आधारित है।


श्लोक इस प्रकार है  -- 

"अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्। , देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।


इस श्लोक का अर्थ से अधिक भाव प्रधान है | श्लोक का अर्थ समझिये –


" अनायासेन मरणम् " 


अर्थात -- हे भगवान , बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो , और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं , यही हमारी इच्छा है ।


 " बिना देन्येन जीवनम्. " 


अर्थात --  आपकी कृपा से बिना किसी के आश्रित होकर , जीवन बिता सकें ,इतना सक्षम बना दीजिए। हमें कभी किसी के सहारे ना जीना पड़े और ना रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है, वैसे आश्रित ना हों ।

 

" देहांते तव सानिध्यम ."


 अर्थात हे भगवन जब भी मृत्यु हो , तो आपके सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले । वैसी ही कृपा हम पर कीजिए। 


" देहि में परमेशवरम्हे "


 हे परमपिता परमात्मा , हमको ऐसा वरदान दीजिए की धन माया न मांगना पड़े ।  यह तो भगवान आप की हमारी पात्रता के हिसाब से आप ,हमको खुद दे देते हैं । दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना जरूर करनी चाहिए । बिना मांगे सब मिलेगा। 


यह प्रार्थना है ,याचना नहीं है । याचना भौतिक सुख साधनों के लिए होती है , जैसे कि घर, व्यापार, नौकरी ,पुत्र ,पुत्री ,सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है , वह भीख है , वो भगवन से नहीं मांगनी चाहिए । योग्यता के हिसाब से अपनेआप मिल जाएगी। 


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                   और जो बात सबसे जरूरी है 


कभी भी मंदिर में जाते हो , तो खुली आंखों से भगवान को देखना चाहिए, निहारना चाहिए , उनको दिलो दिमाग में उतरना चाहिए । उनके दर्शन करना चाहिए। 


कई बार देखते हैं की ,कुछ लोग वहां आंखें बंद करके खड़े रहते हैं । आंखें बंद क्यों करना हम तो दर्शन करने आए हैं । भगवान के स्वरूप का, श्री चरणों का ,मुखारविंद का, श्रंगार का, संपूर्णानंद लें ।


अपनी आंखों में भर ले उनके पावन स्वरूप को । जी भर कर दर्शन करें और दर्शन के बाद जब बाहर आकर बैठे तब नेत्र बंद करके , जो दर्शन किए हैं , उस स्वरूप का ध्यान करें । 


आपको मंदिर में नेत्र नहीं बंद करना । बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें , तब नेत्र बंद करें और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं और भगवान का दर्शन करें । नेत्रों को बंद करने के बाद ऊपर लिखे  श्लोक का पाठ कीजिए ।


हमें मंदिर क्यों जाना चाहिए ? हम प्रतिदिन मंदिर में क्यों जाते हैं?


नियमित मंदिर जाना और परमपिता परमेश्वर से अपनी समस्याएं साझा करना , व्यक्ति को एक अद्भुत शक्ति देता है। जिससे वह अपनी समस्याओं में भगवान की कृपा का अनुभव कर , अपने संकटों का समाधान कर लेता है। 


जैसे अपने माता पिता पर पूर्ण विश्वाश करता है , उनको ही सबकुछ मानता है। वैसे ही इंसान भगवान पर पूर्ण विश्वाश करते है की ,कोई और सुने न सुने , परमात्मा हमारी जरूर सुनेगा । 


मंदिर में सभी पवित्र भाव से जाते हैं , घंटियों का नाद होता है , शंख की धवनि से वातावरण पवित्र होता है। मंदिरों में मंत्रोच्चार होता रहता है। 


 जिसकी वजह से वहां हमेशा सकरात्मक उर्जा बहती रहती है , जो हमारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त करके , हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। 


दिल दिमाग शांत होते हैं , नयी ऊर्जा बल प्रदान करती है। जो हमको जीवन में तरक्की करने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए नियमित मंदिर जाना चाहिए। जय श्री राधे 


पता चला इसके पीछे क्या विज्ञानं है , मंदिर की सीढ़ी पर क्यों बैठते हैं, जानिए राज | Why sit outside temple after offer प्रेयर , मंदिर की सीढ़ियों पर क्यों बैठना चाहिए ? हम दर्शन के बाद मंदिर में क्यों बैठते हैं ? हमें मंदिर क्यों जाना चाहिए ? हम प्रतिदिन मंदिर में क्यों जाते हैं? 

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गीता जी वेदांत


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